Tuesday, September 20, 2011

आंसू से बना बादल हूँ मैं, आंखों से बहा काजल हूँ मैं , घुंघरू जिसके तोड़े गीतों ने वो टूटी हुई पायल हूँ मैं । दीपो के धुएँ की लकीर हूँ मैं, रोते ह्रदयों का नीर हूँ मैं, विरह में प्रेम की पीर हूँ मैं, शीशे को टूटी तस्वीर हूँ मैं, दस्तक दे जिसका बीता जीवन वो टूटी हुई साँकल हूँ मैं । गम में स्वर का कम्पन हूँ मैं धुंधला -धुंधला सा दर्पण हूँ मैं आहत जो अपने तीरों से हुआ उसकी आंखों का जल हूँ मैं

1 comment:

  1. बहुत ख़ूबसूरत , सुन्दर भाव, सादर.

    मेरे ब्लॉग पर भी आप सादर आमंत्रित हैं.

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